sidhanth

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Wednesday, November 28, 2012

चिट्टी

काश हम भी उन्हें चिट्टी लिखते काश हम भी कभी उन्हें वो कह्पाते जो कई बार आँखों ने तो बोला पर जुब़ा गिरफतार होगई थी उनके नजरो की कई बार ..कई बार हमने लिखा भी वो जो सायद बोल नहीं पाता पर कलम खामोश हिन् रही और दिल पे मन की जुबा से लिखते रहे हम कई बार सोचा की तुम्हे बोलूं की खुले बाल में अछि लगती हो पर हर बार मैं उन लटों की उलझन में हिन् उलझा रहा कई बार दोस्तों ने कहा की बोल दो उसे और मैंने हर बार येही बोला किस्मत में लिखी होगी तो मिलेगी नहीं तो हमने कईयों की डोली उठाई है अपने हांथो से

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