sidhanth

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Thursday, November 29, 2012

वो गिरा ...और बिखर गया सायद बिखराव हिन् मुक्कदर था अब वहां नयी बोतल लगी हैं ...उस शराबी का दोष था या उसे बोतल की मुक़दर ..लेकिन वो टूट गया ...बह गया जो भी अन्दर था ....कांच में अपने आप को देखता हुआ सराबी बोला काश वो भी मुझे तोड़ जाता उस वक़्त तो ये जखम यूँ हिन् नहीं चुभता अन्दर हिन् अन्दर ...और वो चला गया

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