sidhanth

sidhanth
.jpeg

Wednesday, November 28, 2012

मेरे बिखरने से पहले हिन् उसने मुझे थाम लिया .. क्या कहूं ए खुदा तूने सिर्फ तूने हिन् मेरा साथ दिया पर अब मुझे बिखरना है थोडा टूटना है जानता हूँ तू भी बिखरेगा मेरे साथ पर मेरे गम मैं तुझे रुसवा न करूँगा ...अलविदा काश मेरी आँखों को वो समझ जाते हमने तो अब जिंदगी हिन् लुटा दी लफ्जो के सामने मैं हर रात येही सोच कर सोता हूँ की ये रात आखरी और लम्बी होगी पर पता नहीं ऊपर वाले को क्या काम है जो हर सुबह उठा देता है मुझे ..ओये कल मत उठाना अभी अभी रस्ते में एक वार्तालाप सुना ...लार्की बोली की यार ६०% छुट है २ जीन्स ले लूँ लड़के ने बोला लो ...और धीरे से बोला घर तो हम मजदूरों को हिन् चलाना है ...वाह गरीबों के रक्त से पिपासित आत्मा आज जिंदगी की बात क्यूँ कर रही है तुम भी अपना कम करते रहते जैसे वो मंदिर में मौन बैठा है ...लो ये रक्त लो ..और लो लाल कर दो इस धरती को की कोई ये न कहने वाला हो की भगवान् का कोई अस्तित्व था अए दिल जरा फकीरों की बस्ती की और चल जरा मैं भी देखूं फकीरों को चुराने वाला खुदा कैसा दीखता है

No comments:

Post a Comment