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sidhanth
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Wednesday, November 28, 2012
कभी कभी मैं सोचता हूँ बल्ब जलाते वक़्त हे इस्वर ये रोशनी कहीं किसी के झोपड़े या किसी बस्ती या किसी किसान के खेतों को उजाड़ कर तो नहीं आती है
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