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sidhanth
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Wednesday, November 28, 2012
मेघा
यूँ छाई है मेघा आसमान में हमारे अरमानो की बारिश हो रही है २ बूंद गिरी टूट कर वो आसमान से हमारे हंथेलियों पर बिखर गयी जैसे कुछ सिमटा हिन् न हो भींग रही है वसुधरा ने कहा हमसे न पकड़ो इसे बह जाने दो टूट कर इसे
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