काश हम भी उन्हें चिट्टी लिखते
काश हम भी कभी उन्हें वो कह्पाते
जो कई बार आँखों ने तो बोला
पर जुब़ा गिरफतार होगई थी उनके नजरो की
कई बार ..कई बार हमने लिखा भी वो
जो सायद बोल नहीं पाता
पर कलम खामोश हिन् रही और दिल पे मन की जुबा से लिखते रहे हम
कई बार सोचा की तुम्हे बोलूं की खुले बाल में अछि लगती हो
पर हर बार मैं उन लटों की उलझन में हिन् उलझा रहा
कई बार दोस्तों ने कहा की बोल दो उसे और मैंने हर बार येही बोला
किस्मत में लिखी होगी तो मिलेगी नहीं तो हमने कईयों
की डोली उठाई है अपने हांथो से
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