लहक गयी चावल जल गयी कढाई ...तबे ने भी मुह बिचकाई
छोलनी का भी मुह होगया है काला
और कल्चल ने उसका खूब मजाक है उड़ाया
चाकू साला नीठ्ला सुबह से सो रहा है
और चूल्हा आहे ले रहा है
सोच रहा हूँ क्या बनायु ...फीर याद
आया और मैंने इस दिवाली भी सोकर हिन् काम चलाया
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