sidhanth

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Monday, March 1, 2010

babhra ki yad me

अब की होली बभ्रा बिन तर्शे नयन
गलियां सुनी सजन बिन
सोचा वो आएंगे
चना साथ लायेंगे
जिसे बनायुंगी बभ्रा
पर ना वो ए ना मणि होली

भीर से भरी गलियां लगी अज्ज सुनी
बभ्रा तुम बिन अबकी बरी सुनी लगी होली

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