मैं कौन हूँ
ढलती सूरज की रौशनी में ढलता इन्सान
या सुबह का तेज प्रखर सा हूँ
जल हूँ
या चेतन
वायुन हूँ या वीरान
मैं कौन हूँ
इन्द्रदनुशी रंग हूँ
या बंजारे सा भटकता जीवन हूँ
सावन का अल्हर बादल हूँ
या gasah पे बिची ओश की बुँदे हूँ
रगों में दौरता लहूँ हूँ
या समुद्र की और दौर लगाती नदी की धरा हूँ
आकाश हूँ
या पाताल की गहराई में खोया विनाश हूँ
भीर हूँ
या भीर को खींचता एक धवनी हूँ
शोर हूँ
या शांत हूँ
मैं जीवन का अंत हूँ
उस मौत का उद्गोस हूँ
मैं काल हूँ
मैं हिन् जीवन हूँ
मैं शंकर हूँ
मैं इन्सान हूँ
7.30 pm sidhantha
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