अभी लंगड़े की दौड़ बाकि है ...
अभी रेस ख़तम नहीं हुई है ..
अभी बिगुल नहीं बजा है ...
अभी गिरकर फीर उठाना बाकि है ...
अभी लंगड़े की दौड़ बाकि है ..
अभी ज़ख्मो से बहते रक्त ने भूमि को रंग नहीं है ...
अभी जीत की सफ़ेद पट्टी टंगी है ..
अभी सूरज ढला नहीं है ..
अभी तालीयों का शोर रुका नहीं है ...
अभी लंगड़े की दौड़ बाकि है
कल से लंगड़ा फीर दौड़ेगा
जीत के लिए
अपने अरमानो के लिए
अपने सपनो के लिए
और तालियाँ बज रही हैं ....दौड़ जारी है ..
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