sidhanth
Sunday, December 2, 2012
तेरा ये भाई तेरे लिए
क्या कहूं कितने अरमान दिलो में दबा रखा है तेरा ये भाई तेरे लिए
तुझे सायद पता नहीं है जब तू छोटी से थी मेरे नन्हे हनथो को पकड़ चलना सीखी
वो मेरे हर बात में तेरा नुक्स खोजना
मुझे आज भी याद है
मुझे याद है बचपन के वो दिन तेरे जब मैं तुझे साइकिल पर बैठा स्कूल ले जाता था
और तेरा कहना भाई तेज चला
हर गह्दी से मैंने रचे लगाया
की तुझे ऐसा न लगे की तेरा भाई
कभी हारा हो ....
वो तेरी दो चोटियों को पकड़ खेलना
वो मेरी एक रूपये का चाहत
और वो तेरा हर घडी रूठना
कभी गुब्बारे के लिए तो कभी गुड्डियों के लिए
तुझे याद है जब बिना हवे की साइकिल पर भी तेरे को बैठा घुमाना
मुझे याद हर वो कुछ जो पल गुजरे
तुझे सायद याद नहीं की कितनी बार मैं गिरा हूँ
तुझे रास्ते के ठोकर से बचाने को
मैंने जिंदगी में कुछ पाया नहीं पर
मैं तुझे जीतते देखना चाहता हूँ
तू आज भी मेरे लिए मेरी बहन से जाएदा मेरी बेटी की तरह है
तेरा भाई
......
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