दर्द को छिपाते हम फिरते हैं
हेर गम में हम हस्ते हैं माँगा तो था उस रब से एक मौत
और जब आई वो तो एक कम्ब्कत दर्द बनक.
देश का भ्रष्टाचार और मोहबत का ग्राफ बड़ा तेजी से चल रहा है ....लगे रहो सब बस याद रखना सब तिहार में मत जाना
उन्होंने कहा इजेहार कर दो की कहीं देर न हो जाये
..क्या जमाना आगया ..भला आग को कोई कहाँ दबा पाया है मोह्बत भी आग की तरह होती है जो बस फलते जाती है ..और जल जाता है मोह्बत जब खुद अपने हिन् मोह्बत में तब मोह्बत परवान चढ़ती है
किसी ने कहा हम मोह्बत का इज़हार करने में डरते हैं अब हम उन्हें क्या बतयाए की हमे मोहबत भी हुई तो उनसे हिन् हुई
फर्ज करो की मैं हवा हूँ ..और तुम मुझे सदा अपने सासों में पायोगी ....मैं कहाँ दूर हूँ तुमसे बस इन फासलों की दुरी है और लम्शे खुद ब खुद सिमट जाते हैं तुम्हारे सांसों में मैं कहाँ दूर हूँ तुमसे
मुझे मेरी मौत का एक वजह तो दे ए खुदा की मेरी मौत से कहाँ सुकून मिलता है किसे
बस है कुछ बहते आंशुओं की नमी जो मेरे कब्र से उठ उस असमान से बरसाती है हर रोज
और मैं बस खामोश उस असमान को देखता हूँ
मत ले मेरी बेबशी का तू इम्तिहान ..मैं इतना बेबस पहले तो न था ..पर हर पल में मैं बेबसी पहले इतना नहीं थी की अब तो बेबसी का हर पल इम्तिहान है
उस रोज ये ज़ख़्म बड़ा हल्का था पर बदलते वक़्त ने इसे नासूर बना दिया है ...खाए जा रह है ये मेरी रूह को
वो देख रहे हो असमान में कटी पतंग और वो दौरती भीर उसके पीछे, हर गिरता हुआ इन्सान भी इस कदर पागल बना देता है दुनिया को
दर्द अब पहले से जाएदा हैं हैं एहिं इस दिल के कोने में , पर देखो इस दर्द को दबाये रखना की अब येही उसकी आखरी निसानी है
तारो के बेवफाई तो चाँद को भी न सही गयी देखो तो जरा किस आधे मन से उगा है आसमां में
मैं एक यात्री हूँ जीवन की राहों में मैं अक्सर आप से मिलता हूँ कभी दोस्त की तरह कभी अनजान विचारो के साथ ..कभी भाई बनकर कभी रास्ते में पड़ा एक पत्थर हूँ मैं ..मेरी कोई इक्षा नहीं कोई चाह नहीं है ,मैं आपके खुसी में खुस होता हूँ और गम में मैं आपसे जाएदा वयकुल होता हूँ ..मैं कभी किसी का चाह नहीं हूँ ..न कोई मेरे बारे में सोचता है ..और मुझे इसकी कभी कामना भी नहीं हुई ...मैं तो बस एक यात्री हूँ यद् रखना आपके जीवन में मैं एक बार जर्रूर आता हूँ मुझे अपना समझना ..मैं जीवन के राह में अक्सर आपसे रूप बदल कर मिलता हूँ
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