sidhanth

sidhanth
.jpeg

Wednesday, January 27, 2010

ek cchan..........mera jivan.

आज उनकी यादों के दर्द से निअक्लने को बैचन हूँ
अपनों को आज फिर मैं अपने आप से निकालने को बैचन हूँ
सोस्चता हूँ फिर से उस गली से जिन्दगी को खोजने को तय्यार हूँ
पर वो एहसाश उस उनुभुती को कहाँ से लायुं जो जला आया हूँ
वो बचपन कहाँ से लायुं जिसे छोर किसी के गोद में आया हूँ
सहारा के लिए आज भी कई हाँथ हैं पर अपने बाप का हाँथ कहाँ से लायुं
छोर आया हूँ आज बहुत कुछ पर किसी अपनों को भूलने की एक एहसाह साथ लाया हूँ
आज भी मैं रोता हूँपर ये सूखे आंशु इन चहेरों में चुप जाते हैं
आज फिर मैं गुम होता हूँ उस भीर में
एक आखरी कोशिश किसी अपनों की तलाश में.

No comments:

Post a Comment